संभाग ब्यूरो वाजिद अली कुरेशी
इंदौर
उप-पंजीयक कार्यालय क्रमांक 3, मेदांता अस्पताल के पास जनता ने बताया कि दोपहर. 12.00 बजे स्लॉट का टोकन लिया था और रजिस्ट्री 3.30 बजे हुई, यानी 12 बजे का आया हुआ व्यक्ति 3.30 घंटे इंतजार करने के बाद फ्री हुआ। *इसका सबसे मुख्य कारण तो यह हैं कि 4 उप-पंजीयक होने के बावजूद 12 बजे से पहले कार्यालय में कोई आता ही नहीं हैं, और अगर आ भी जाए तो काम ही चालू नहीं करता*
*सुविधाओं का है अभाव*
जनता के लिए पीने के पानी नहीं हैं।
पार्किंग ऐसी हैं, कि अगर एक कार बाहर आ रही हैं तो दूसरी अंदर नहीं जा सकती, 2 व्हीलर पार्किंग तो हैं ही नहीं, जिसकी जहां मर्जी होती हैं, वहाँ लगा कर निकल जाता हैं।
रजिस्ट्रार ऑफिस में आने-जाने का रास्ता भी सही नहीं हैं, ऑफिस का मेन गेट पीछे की ओर से हैं, जहा तक जाने का रास्ता कच्चा बना हुआ हैं। जिसका कोई दिशा सूचक नहीं हैं, बस एक छोटा सा बोर्ड लगा दिया, उस पर भी कोई ना कोई पोस्टर लगा देता हैं।
धारा 30 के तहत तहसील के दस्तावेज जो जिले के किसी भी उप-पंजीयक कार्यालय में किए जा सकते थे, उसको बदल कर केवल जिले के एक उप-पंजीयक कार्यालय में कर दिया हैं। जबकि विगत 4-5 वर्षों में सेंटर शहर से ज्यादा बाइपास पर स्थित अन्य तहसीलों के दस्तावेज ही ज्यादा पंजीकृत हो रहे हैं। इसके कारण एक उप-पंजीयक कार्यालय पर अत्यधिक भीड़ हो गई हैं, जो की पूर्व में अलग-अलग उप-पंजीयक कार्यालय होने से बंट जाती थी।
. ऐसी कोई सुविधा नहीं हैं, जिससे ईमर्जन्सी में किसी व्यक्ति का कार्य हो सके। अर्थात 2 बजे का स्लॉट बुक हो, और इसके पहले के स्लॉट के टोकन “pending assignment” में हो तो पहले वो स्लॉट के दस्तावेज ही होंगे, और उसके बाद 2 बजे का स्लॉट असाइन हो पाएगा। फिर चाहे इसमें कितना भी टाइम लगे।
बैठक व्यवस्था नहीं
. उसमें भी बैठने की व्यवस्था बमुश्किल 25-30 लोगों की हैं, यानी के आपको इंतजार भी करना हैं, और वो भी खड़े हो कर करना हैं, नहीं तो कार्यालय के बाहर करना हैं।
उक्त सभी कर्म को देखते हुए अधिकारियों को संज्ञान लेना चाहिए जिसे रजिस्ट्री करने वालों को आसुविधा न हो